खुशियाँ चहुँ ओर हो, व्यथित कोई न मन रहे। खुशियाँ चहुँ ओर हो, व्यथित कोई न मन रहे।
उड़ लेगी मन से जी लेगी अपने हिस्से का जीवन तो क्या अनर्थ हो जाएगा उड़ लेगी मन से जी लेगी अपने हिस्से का जीवन तो क्या अनर्थ हो जाएगा
आज खामोश खड़ा है क्यों आज खामोश खड़ा है क्यों
विवाह को माना बंधन बिन फेरे हम तेरे का संगम लिव इन रिलेशन बन गया आधुनिक रंग विवाह को माना बंधन बिन फेरे हम तेरे का संगम लिव इन रिलेशन बन गया आधुनि...
अपनी सामर्थ्य की सीमा और प्रकृति माता की क्षमा की मर्यादा को देता अपनी सामर्थ्य की सीमा और प्रकृति माता की क्षमा की मर्यादा को देता
अब शेष कुछ बचा नहीं, सब कुछ है, बिखर गया। अब शेष कुछ बचा नहीं, सब कुछ है, बिखर गया।