प्रकृति का वरदान
प्रकृति का वरदान
बागों में पक्षियों का चहचहाना
शाखो पर पत्तों का हिलना
मंद- मंद समीर का बहना।
धूप - बारिश व
नींद से जगाती सुबह
सवेरे का सूरज
दूर गगन में उडते पंछी
ये सब ,प्रकृति का वरदान तो है।
जो मन में आशा - विश्वास जगाता है
यह प्रेरणा देता है- कि 'अभी देर न हुई है।
कविता के संबंध में 10 शब्द -
सुबह का सूरज, हवा, धूप,
बारिश-पंछियों की मधुर बोली।
अपने लक्ष्य की ओर बढते पक्षी
जीवन का गतिमान होना।
यह सब प्रकृति का
वरदान व प्रेरक तत्व है कि
अभी देर न हुई है।