Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sanjay Aswal

Abstract

4.7  

Sanjay Aswal

Abstract

घास काटती लड़की (घसेरि)

घास काटती लड़की (घसेरि)

1 min
363


ओ घास काटती लड़की 

ओ घसेरि..!

वाह क्या भाग्य है तेरा, 

जब से पैदा हुई 

संघर्ष साथ है लाई,


विकट परिस्थितियां लेकर

दर्द तू पहाड़ सा पाई,

फिर भी ना कोई गम तुझे 

ना चेहरे पे सिकन कोई,

निकल पड़ती है 

रोज सवेरे बूँण

घास पत्तियों के लिए,

हाथ में दाथुडी और रस्सियां लिए

ऊंची नीची 

पथरीली पगडंडियों में

उफनते गाड गधेरों में 


जीवन मौत का खेल 

रोज़ तू खेलती है,

ओ घास काटती लड़की 

ओ घसेरि..!

चलना जरा संभल कर 

इन ऊंची चट्टानों पर 

जहां मौत भी

हाथ बांधे खड़ी है 


तेरे सामने,

आगे रौल है

नीचे भ्याल है,

उतराई मे फिसलने का 

बहुत डर है,

तू संभल कर पांव रखना 

जिंदगी कठिन है 

उसका भी ध्यान रखना,


ओ घास काटती लड़की

ओ घसेरि..!

यही भाग्य है तेरा,

जहां पहाड़ और तेरा मन 

दोनों टूट रहें हैं धीरे धीरे,

भले संघर्षों का अंत नहीं 

पर तुझे जीना होगा 

ये पहाड़ सा जीवन,

तुझे यूं ही 

बस सहना होगा

हर पल का ये गम,

ओ घास काटती लड़की

ओ घसेरि..!


तू पहाड़ की बेटी है

हौसला सदा तू रखना,

नियति है ये तेरी 

इसे तू साथ लेकर चलना,

बेशक बार बार 

टूटी है तू पहाड़ सी,

पर ये अस्तित्व की लड़ाई है 

तेरे और पहाड़ की..!


पहाड़ी शब्दावली:

दाथुडी - घास काटने का यंत्र 

गाड गधेरे- पहाड़ी नदी,नाले 

घसेरि - घास काटने वाली महिला

भ्याल - गहरी खाई

बूँण  - घने जंगल।

रौल - निर्जन खौफनाक स्थल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract