STORYMIRROR

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

4.8  

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

गाँव का आँगन

गाँव का आँगन

1 min
347



सूरज की सुबह की लालिमा 

बिखेरती चंचल किरणों को

और बहती ये शीतल मंद हवा 

एहसास दिलाती हमको

गाँव का आँगन आज भी

महकता रहता है II


आज भी उन लम्हों को तलाशते 

जहाँ होते हैं मददगार सभी

एक दूजे का सुख-दुख बांट लेते

 आपस में हैं रिश्तेदार सभी

गाँव का आँगन आज भी

चहकता रहता हैII


गाँव के आँगन का प्रेम

 सबके मन को आनंदित करता 

पगडंडियों के टेढ़े -मेढ़े रास्ते

मधुर स्वर बिखेरता है

कजरी की रातें घुंघरू की आवाज

 सुनकर मन प्रफुल्लित हो जाता है

गाँव का आँगन

आज भी

पक्षियों का राग सुनाता है II


यहाँ ना कोई गलियां अनजान 

ना कोई दरवाजा बंद होता है

सौंधी मिट्टी की महक तन-मन

 आनंदित कर जाती है

नदिया के उस पार 

धूमिल होता सूरज कुछ कहता है

क्षण -भर भी निस्वार्थ प्रेम में 

यहाँ ना कोई जीता है

गाँव का आँगन आज भी

अपनेपन का एहसास दिलाता हैII


कलश में जल भरकर पनघट से 

मोहक हंसी ठिठोली करती

देखती चंचल नैनों से 

पायल उनकी खनकती है

साथ बैठकर बातें करते

कोकिल कंठों से मधुर स्वर वो गाती हैं

गाँव का आँगन

आज भी याद आता हैII


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract