गाँव जहाँ जन्म हुआ
गाँव जहाँ जन्म हुआ
प्यारा है मेरा गाँव,
मिले जहाँ पर ठावँ!
माँ के ममता की,
मिले जहाँ पर छाँव!!
गाँव में मेरे अपनापन,
ख़ुश रहे जहाँ पर मन!
चारों तरफ हरियाली है,
घर घर में ख़ुशहाली है!!
खेतीबाड़ी और किसानी,
सभी गाँव की है निशानी!
शहरों की तरह न भागमभाग,
खाने को मिले सरसों के साग!!
हरे भरे हैं पेड़ यहाँ,
खेतों में पतले मेड़ जहाँ!
बगिया में आम टपकते है,
बच्चों के झुंड लपकते है!!
साथ साथ बाज़ार को जाए,
एक दूजे को हाल सुनाए!
गाँव में मेरे न धनवान,
रहते यहाँ गरीब किसान!!
छल कपट नहीं इनको आता,
दिल के सब भोलेभाले है!
जैसे रहते दिखते भी वैसे,
दिल के न होते काले है!!
किसी के घर हो दुख बीमारी,
सबकी होती है भागेदारी!
सुख-दुख साथ में रहते है,
अपना परिवार समझते है!!
जाड़ा, गर्मी या हो बरसात,
दिन हो चाहे या हो रात!
किसी के घर कोई हो बात,
दूर करें सब हो तैनात!!
फ़सल उगाने को गाँव में मेरे,
दिन भर करते रहते काम!
सुबह, शाम, दोपहर को भी,
न मिलता उनको विश्राम!!
मेरे गाँव में रहने वाले,
जी तोड़ परिश्रम करते है!
अमीर नहीं हो पाते है वे,
पर प्रसन्न बहुत ही रहते है!!