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Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

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Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

एकमत हो जाओ, संकट दूर भगाओ

एकमत हो जाओ, संकट दूर भगाओ

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अपने भारत पर जब जब, संकट कोई भी आया

एकजुट होकर हम सबने, अपने देश को बचाया


भारत देश की रक्षा प्रति, सबने कर्तव्य निभाया

करोड़, लाख और हजारों ने, अपना लहू बहाया


देश के वीर योद्धाओं ने, भारत पर शीश नवाया

नव वधुओं ने भी अपनी, मांग का सिंदूर गंवाया


गृहयुद्ध जैसा संकट आज, भारत देश पर छाया

हर देशवासी आज, सहमा हुआ सा नजर आया


दुश्मन बड़ा भयंकर है, विपदा भी आई घनघोर

घृणा की ज्वाला फैल गई, हम सबके चारों ओर


समय बड़ा नाजुक है, मन को तुम ये समझाओ

अलग थलग ना रहो, अब तो एकजुट हो जाओ


विषैली सोच का जो संगठन, शत्रु बनकर आया

इनके कारण ही देश पर, विकराल संकट छाया


संकट को देखकर तुम, बिल्कुल भी ना घबराना

धीरज और आत्मविश्वास, अपने अन्दर जगाना


मिटा दो नफरत की घटाएं, जो आसमान में छाई

साम्प्रदायिकता के विरुद्ध, मिलकर जीतो लड़ाई


एक दूजे के लिए जब, हम सच्चा स्नेह जगाएंगे

नफरत भड़काने वाले, अपनेआप ही मर जाएंगे


आपस के मतभेद भुलाकर, एकमत हो जाओ

एक दूजे का सहयोग कर, राष्ट्र एकता जगाओ


तेरा मेरा सोचना छोड़ो, सब हैं ईश्वर की सन्तान

रखवाला है सबका वो, ईश्वर खुदा और भगवान


वक्त आया केवल उसी की, शिक्षा को अपनाओ

एकमत होकर संकट को, जीवन से दूर भगाओ।


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