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Sandeep Saras

Classics

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Sandeep Saras

Classics

एकांत साधना को

एकांत साधना को

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राहें पथरीली हों, गन्तव्य न छोड़ेंगे,

ये अधर सत्यता का, मन्तव्य न छोड़ेंगे।

दक्षिणा अंगूठे की, हे द्रोण भले ले लो,

एकांत साधना को, एकलव्य न छोड़ेंगे।


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