एकांत साधना को
एकांत साधना को
राहें पथरीली हों, गन्तव्य न छोड़ेंगे,
ये अधर सत्यता का, मन्तव्य न छोड़ेंगे।
दक्षिणा अंगूठे की, हे द्रोण भले ले लो,
एकांत साधना को, एकलव्य न छोड़ेंगे।
राहें पथरीली हों, गन्तव्य न छोड़ेंगे,
ये अधर सत्यता का, मन्तव्य न छोड़ेंगे।
दक्षिणा अंगूठे की, हे द्रोण भले ले लो,
एकांत साधना को, एकलव्य न छोड़ेंगे।