एक विचार
एक विचार
लिखने को जब मैंने कलम उठाई
मेरे मन से एक आवाज आई
मन है एक सागर जिसमें विचार है तैरते
हिलोरे मार कर कभी इधर कभी उधर है ठहरते
इन्हीं विचारों को है मुझे संभालना
किनारे तक लेकर मुझको ही है जाना
माना है यह कार्य कठिन
लगेंगे इसमें बहुत दिन
पर सामना होगा जब मंजिल से
कहूँगा तब मैं भी अपने मन से
हाँ मैंने पार किया यह सागर
खड़ा हूँ खुशी से इस तट पर आकर
