एक स्पर्श प्यारा सा

एक स्पर्श प्यारा सा

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सुहाना सफ़र मस्तानी डगर

चल पड़े हम होके

मदमस्त, मगन-मगन।

रस में डूबें , ख्यालों में खोये-खोये

अलग ही धुन एक नया सफ़र।


पग-पग हम बढते चले

खोले बाहें अपने चित को चमकाए

सूरज की चमक की भाती चमकते गये।

राह दर राह बदलती चली

फूलों की खुशबू को अपने

अंदर समाहित करते चले।


हरयाली देखी, वृक्षों के ऊप्पर लिपटी

लताओं की प्रेम कहानी देखी

बहती नदी की उफनती जवानी देखी

रंग बिरंगे फूलों के अंदर

नन्हें-नन्हें बच्चों की किलकारियां देखी।

हरे-हरे घास के गलिचे के ऊप्पर

चिट्टियों की लुभावनी चाल भी देखी।


तितलियों का आकर्षित नाच भी देखा

भवरों का सुर-संगीत भी देखा

पहाडों के बीच एक अनमोल रिश्ता बरसों पुराना भी देखा।

झरनों और वादियों का आपसी वार्तालाप भी देखा

धरा की सरसारहट का रूप भी देखा

दूर क्षितिज पर अंबर और धरती का मधुर मिलन भी देखा।


अकेले चले थे, मंजिल तक पहुचते-पहुचते इतने साथी बने

यादों का सिलसिला बना

अनजाने सफ़र में

एक राह ,एक डगर, हसीन वादियां से प्यार भरा

महकता, हमेशा जिंदगी को महकाने वाला रिश्ता बना।


प्रकृति को समय और अपना साथ दो

वो हमें बहुत कुछ देती हैं

कभी मन अशांत हो तो दोस्तों

खुलें आसमान के नीचे, वृक्षों की छावं तले

मधुर संगीत सुनो जो दिल में हो उससे कहो

वो बदले में उल्टा जवाब न देगी

बल्कि अपनी ठंडी-ठंडी हवा और भिनी-भिनी खुशबू से

आपके अशांत मन को, शान्ति से भर देगी।


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