एक साया
एक साया
मत पूछो मुझे,
कौन हूँ मैं,
क्योंकि मेरा सच्चाई,
मेरा साया है जो मेरी माँ के रूप में आया है।
कभी डाँटा तो कभी प्रेम किया,
पर क्रोध मत करना,
क्योंकि वो है तो तुम हो,
तुम्हारा संस्कार तुम्हारे माँ से पता चलता है,
आज तुम्हारी साया है, क्योंकि वो तुम्हारे रूप में आया है।
किसी की माँ पढ़ी -लिखी, किसी की माँ अनपढ़
अपनी माँ को इज्जत देना
क्योंकि माँ ही है भगवान का अर्पण
हमारा साया है जो हमारे माँ के रूप में आया है।