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nutan sharma

Inspirational

4  

nutan sharma

Inspirational

एक पिता का समर्पण

एक पिता का समर्पण

2 mins
450


तन समर्पित, मन समर्पित किया और ये जीवन समर्पित। 

किया अपना सब समर्पित, पिता ने मेरे लिए।

मैं अभागा उनके ऋण का एक भी पल न दे पाया उनके लिए।

नींद से जागे रहे वो, मेरे सपनों के लिए।

चैन भी पाया नहीं, मुझको सारी खुशियां देने के लिए।

जब कभी कोई खिलौना, बचपन में मुझे यूं ही भा गया।

चाहे कुछ भी हो वो, खिलौना ले आए वो मेरे लिए।

किया अपना सब समर्पित, पिता ने मेरे लिए।


सोचते रहते वो दिन रात, बस मेरे लिए।

अपने सपने देखते थे, वो मुझमें पूरा होते हुए।

खुवाहिशें उनकी जो थीं, शायद सब अधूरी रह गईं थी।

इसलिए बिन सोचे समझे, हर ख्वाहिश मेरी वो पूरी करते रहे।

और खुद को ही समर्पित करते रहे मेरे लिए।

किया अपना सब समर्पित, पिता ने मेरे लिए।


आज भी एक खरोंच देख मेरी, यूं सहम जाते हैं वो।

जैसे मुझको क्या लगा, और डर जाते हैं वो।

छोटा सा एक बालक हूं मैं, आज भी उनके लिए।

उनके ह्रदय का एक टुकड़ा हूं मैं, आज भी उनके लिए।

कर दिया अपना हर पल समर्पित पिता ने मेरे लिए।

किया अपना सब समर्पित, पिता ने मेरे लिए।


पांव में कांटा न लग जाए कहीं मुझे इसलिए।

कंधों पर बिठाके घूमते थे वो मुझे लिए।

सहारा बनते थे हर पल मेरा, क्योंकि मुझे चलना नहीं आता था।

सीने से लगा लेते थे, जब मैं चलते चलते गिर जाता था।

वो समर्पित हो जाते थे, मुझे संभालने के लिए।

किया अपना सब समर्पित, पिता ने मेरे लिए। 


मैं अभागा कुछ भी न कर पाया कभी उनके लिए।

एक खुशी का पल भी न दे पाया कभी उनके लिए।

उनको तो यकीनन कुछ भी न चाहिए था मुझसे कभी।

बस मेरे थोड़े से समय की चाह ही काफी थी उनके लिए।

उनकी तो सारी तपस्या थी समर्पित मेरे लिए।

किया अपना सब समर्पित, पिता ने मेरे लिए।


देर से आना मेरा, घंटों फोन पर दोस्तों से बतियाना मेरा।

खलता था उनको, लेकिन वो मौन भी तो थे बस मेरे लिए।

कि शायद मैं खुद ही समझ जाऊं उनके भावों को।

उनकी आंखें ढूंढती थीं, मेरी मुस्कुराहट उनके लिए।

उनका मुझसे कुछ न कहना भी उनका समर्पण था मेरे लिए।

किया अपना सब समर्पित, पिता ने मेरे लिए।


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