एक पागल सी लड़की
एक पागल सी लड़की
एक पागल दीवानी सी लड़की,
ना किसी से ज्यादा बोलती
चुप- चुप सी रहती,
जब भी बस बोलती धीरे -2 बोलती,
मानो बारिश के जैसे ना कोई
शोर है उसमें, ना कोई सन्नाटा
बस सागर की तरह वो बहती वो,
तब कोई उस को ना पढ़ पाया,
ना कोई उसको समझा,
छोटी -2 आँखें उसकी,
ना जाने क्या-क्या कहती,
मेरी प्यारी सी सहेली ना
किसी से ज्यादा बोलती,
बस चुप- चुप सी रहती
जो शख़्स अक़्सर दिखता,
कोई ना कोई उसको कई दर्द देता,
रखता उसको धोखे में
जितने पल रूकती वो आकर,
उस पल में सिमटी रहती,
मेरी प्यारी सी सहेली
ना किसी से ज्यादा बोलती,
बस चुप- चुप सी रहती,
अब वो गलत किसी का नहीं सुनती
वो लम्हा आ गया
अब सहसा उसका मुस्कुराता
और सब के मन को जला देता
प्यार भरा दिल है उसका
एक मासूम-सी प्यारी-सी लड़की है वो,
ना किसी से ज्यादा बोलती है,
बस चुप- चुप सी रहती
प्यारी-प्यारी आँखें है उसकी
अब उन आँखों में मस्ती सी होती है
भोली सी सूरत उसकी
हमेशा मेरी नज़रों के आगे है
हमेशा प्यार भरी आंखों से बातें करती है
ऐसी है मेरी प्यारी सी सहेली
जो मेरे से बातें करती है।