एक नज़र खोई - खोई
एक नज़र खोई - खोई
एक नज़र खोई - खोई ,
उसकी काम कर गई ,
वो मेरा सरे बाजार में ,
कत्ल ~ए ~आम कर गई।
वो देखे दूर - दूर से ,
अपनी कँखियो से मुझे ,
मैं जब करूँ इशारे ....
वो जलवे ज़ाम कर गई।
उसकी नज़र का जादू ,
कुछ ऐसा चढ़ा मुझपे ,
मैं पीने गया मयखाने ,
वो वहाँ भी ज़ाम भर गई।
मूँद पलक एक आँख की ,
उसने आँख ऐसे चलाई ,
मेरे दिल पर लग वो पलक ,
मेरा काम तमाम कर गई |
वो बहाने बना कर चली गई ,
अपनी खोई नज़र के साथ ,
एक नज़र खोई - खोई ,
उसकी काम कर गई।।

