एक नहीं,अनेक
एक नहीं,अनेक
मेरे घर के पास एक ऊंचा नीम का पेड़ है
झुककर मेरे बालगनी में झाँका करता है
सुबह एक कौवा आया
मैंने उसे कुछ खाना खिलाया
खुशी से खाकर कॉव,कॉव कह कर उड़ गया
एक हरा तोता आया
पेड़ की शाखा को झूला बनकर
खुशी से झूल कर उड़ गया
देखो ! एक जोड़ा आया
नर और माता काले कोयल दोनों आए
यहां-वहां पिंजरे को ढूंढ कर चले गए
वाह ! रामचरिया भी आया है
नीली-पीली रंगों से सुंदर छोटा-सा पक्षी
पास की सेल में मछली पड़े होंगे
आराम लेने आया, आकाश में उड़ चला
दोपहर कबूतर के साथ गौरैया भी आए
छोटे बड़े सभी बाकी खाना खाकर
चहचहाहट करते उड़ गए
अंत में एक बगुला आया
मैंने उसे ध्यान से देखा
नीम के पेड़ के नीचे झाड है
झाड़ के बीच बगुला घुसा
थोड़ी देर में बाहर आया
अपना छोटा चूज के साथ
चूज को उड़ने का सबक
सिखाते सिखाते दोनों उड़ गए
सुबह से शाम तक
एक नहीं अनेक पक्षी
देखते देखते मन भर गया मेरा।
