एक नारी
एक नारी
हां ! देखी है मैंने एक नारी
जो जानती है कब, कहां,
कितना कहना है।
रोना जिसकी परिभाषा नहीं।
हर वक्त उसे तो बस हंसना है।
सबको उसके आसपास ही देखा है।
अपने ढंग से दुनिया चलाते देखा है।
हर परिस्थिति को अनुकूल बनाते देखा है।
हां मैंने शत-प्रतिशत उसे
नारी की परिभाषा बनाते देखा है।
साधारण व्यक्ति में,
असाधारण व्यक्तित्व को आंका है।
खुद की दृष्टि से सृष्टि बनाते देखा है।
अपनी राहें, अपनी मंजिल खुद
उसे तय करते देखा है।
हां मैंने ऐसी एक नारी को देखा है।
एहसास में नहीं, हकीकत में देखा है।
हां मैंने ऐसी नारी को देखा है।
बिखरे जीवन को समेटना ही,
उसका श्रृंगार देखा है।
सबमें विश्वास भरते देखा है।
भिन्न-भिन्न रूप में उसे आसपास देखा है।
हां मैंने ऐसी नारी को देखा है।