एक नारी की कहानी।
एक नारी की कहानी।


यह कहानी उनके जन्म से पहले ही शुरू हो जाती है।
ना जाने कितनों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है।
अगर उनकी किस्मत से वह पैदा हो जाती हैं
तो भी उस परिवार में लड़कों और लड़कियोंं में
फर्क किया जाता है। लड़का हो तो सर पर ।
और लड़की को पैरो कि जुती तक नहींं मानते।
पढ़ाई खाना पीना लिखना सब पर रोक टोक
और सब में भेदभाव किया जाता है।
चाहे वह कितनी ही पढ़ाई में अच्छी हो पर उसे आगे
नहीं बढ़ने देते है।
फिर आता है दूसरा पड़ाव। बाल विवाह।
ना जाने वहां कितने कितने,
दुख का सामना करना पड़ता है।
अगर वह आगे पढ़ भी रही होती
तो यह समाज उसे कहाँ जीने देता।
कितने शोषण होते हैं हर पल डर लगा ही रहता है
किस से क्या खतरा हो सकता।
अगर पढ़ाई पूरी करते चलते हैं तो भी मुसीबतों का
सामना करना पड़ेगा
फिर वहां से आगे बढ़कर कोई नौकरी करना चाहे
तो वह भी नहीं हो सकता इस समाज के तानों से।
अगर परिवार में सब ठीक है तो यह समाज काफी है
उसका जीना मुश्किल करने के लिए।
अगर आने में कोई देरी हो जाती हैं।
तो कितने सवालों का जवाब देना पड़ता है।
अगर वहीं काम लड़के करे तो रोक-टोक नहीं
बात लड़की है तो सब पे पाबंदी।
फिर बीच पढ़ाई में ही शादी कर देते हैं।
किस्मत अच्छी तो आगे की जिंदगी अच्छी होगी।
लेकिन अगर पति मर जाता है तो फिर से वहीं जिंदगी
मुसीबतों का पहाड़ बन कर रह जाती है।
न जाने क्यों किसी के जाने के बाद जिंदा रहे औरत को भी
एक लाश की तरह देखते हैं।
इन परंपराओंं की बेड़ियों से अगर वह आगे बढ़ने की
कोशिश करती है तो उसे बदचलन और क्या-क्या कह देते हैं।
उस अकेली को ही अपने बच्चों का घर वालों का पेट भरना है।
पर कोई उसका साथ नहीं देता। ताने देता है।
और किन-किन नज़रों का सामना करना पड़ता है।
दुख में साथ देने वाला कोई नहीं होंगे।
पर दुख देने वालों की कमी नहीं होगी।
फिर भी आज की दुनिया में वाडेकर कड़ी है
अपने मुसीबतों को ढकेलते हुए अपने अंधकार के
पन्नों को चीरते हुए आगे बढ़ रही है और
अपने मुकाम को हासिल कर रही है और करती ही रहेगी।
लड़की है तो जीवन है।
जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं।
अगर उनका साथ नहीं दे सकते, तो उन्हें रोको मत ।
तुमसे बहुत बेहतर अपना जिंदगी सवार के दिखाएंगी
कमजोर नहीं है आजकल की नारी, नारी है तो जीवन न्यारा है ।
उसमें जीवन है। वही जीव है।
कहानी नारी की कभी खत्म नहीं होगी।
हर अंत एक शुरुआत है ।