डर
डर
डर लगता है रूठी हुई जिंदगी से,
बिखरे ख्वाबों की इस बंदगी से,
खोया सा एक मासूम चेहरा जो
खुश होता है, दिल की तंगी से।
कहीं खो ना दू उस तकदीर को।
कहीं छोड़ ना दू उस तस्वीर को।
उसी की याद में गुजर चुकी जिंदगी,
कहीं भूल ना खुद के शरीर को।
मुझे डर लगता है कि कहीं वो
छोड़ कर ना चली जाये।
अगर चली गई तो लगेगा कि
वो मुझे चाहती थी बेपनाह
अब तो मैं किसी और, और
वो किसी और गली जाए।