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Anamika Sachdeva

Tragedy

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Anamika Sachdeva

Tragedy

एक नारी का जीवन

एक नारी का जीवन

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नारी तेरा जीवन दुख से भरा

फिर भी तेरा रुख ममता से भरा

कब तक यूं दुख में जलती रहेगी

यूं ही घुट घुट कर मरती रहेगी

सदियों से तू जुल्मों को सहती आई

केवल नाम से आधुनिक हो पाई


आखिर कब तक सहेगी जुल्मों को

कब तक कुचलेगी अपने अरमानों को

अंत कर अब जुल्मों का

बंद कर अपनी कुर्बानियों का

बस कर अब जुल्मों को सहना

बनकर दुर्गा ले ले अपना अधिकार


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