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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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एक मार्ग दर्शक गजल

एक मार्ग दर्शक गजल

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वो खुद ही जान जायेंगे बुलन्दी आसमानों की

परिन्दों को नहीं तालीम दी जाती उड़ानों की


अगर है हौसला तो मंजिलों में हैं कई राहें

बहुत कमजोर दिल की बात करते हैं थकानों की


महकना और महकाना है केवल काम खुशबू का

कभी खुशबू नहीं मोहताज होती कद्रदानों की


जिन्हें है सिर्फ मरना ही वो वेशक खुदकशी कर लें

कमी कोई नहीं है वरना जीने के बहानों की


हमें हर हाल में तूफान से महफूज़ रखेगी

छतें मजबूत होती हैं उम्मीदों के मकानों की।


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