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Kumar Gaurav Vimal

Abstract

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Kumar Gaurav Vimal

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एक लड़की सहमी सहमी सी...

एक लड़की सहमी सहमी सी...

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नदी किनारे जो मैं चला तो एक लड़की मिली सहमी सहमी सी,

देखकर उसे मेरे दिमाग में आई एक सोच गलतफहमी सी.....


रुककर मैं बस पूछ पड़ा क्या है उसके दिल का हाल,

जाग उठी वो अपने सपने से सुनकर मेरा यह सवाल...

ढकेल दिया उसने मुझे नदी में पल में ही मैं तेज़ धार बन गया,

तब दिल से मेरे आवाज़ आई अरे तू तो इसका शिकार बन गया...

बचा ना पाया मुझे कोई मौत हुई मेरी बड़ी बेरहमी सी,

दूसरे शिकार के इंतज़ार में बैठ गई फ़िर वो लड़की सहमी सहमी सी!


साहित्याला गुण द्या
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