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एक कप चाय

एक कप चाय

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दीप यादों के जलाएं एक साथ बैठकर

आओ आज चाय पिए एक साथ बैठकर।


 आओ महसूस करें मौसम की आहट 

 सर्द हुए रिश्तों में भर दें गर्माहट

खुश्बुओं से महक जाएं एक साथ बैठ कर।


बोलो फिर मुहब्बत के प्यारे- प्यारे दो बोल

बातों में मीश्री की बूंदों को लो घोल

मंद‌ -मंद मुस्कराएं एक साथ बैठ कर। 


इस जहां की जैसे हमे कोई न रहे खबर

बोलूं न तो भी सुनें तुम्हे ये मेरे मूक स्वर 

एक दूजे में खो जाएं एक साथ बैठकर।


छोटी सी ये जिंदगी न आएगी दोबारा

मन का है गुबार जो उंडेल दो वो सारा

गिले-शिकवे सुनाए एक साथ बैठ कर।


क्या पता है जिंदगी की शाम कहां जाए ढ़ल

थोड़े से कदम तो साथी मिल के मेरे साथ चल

जश्ने -जिंदगी मनाएं एक साथ बैठ कर। 

आओ आज चाय पिएं।


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