'हरि ' की नाम खुमारी रख ले
'हरि ' की नाम खुमारी रख ले
दुनिया में गर आया बन्दे,
थोड़ी जिम्मेदारी रख ले ।
मानुष जन्म अमोलक जग में,
उस रब की ताबेदारी रख ले ।
माटी से बना तन तेरा,
माटी के संग यारी रख ले ।
दीन दु:खी के काम तू आये,
दिल अंदर दिलदारी रख ले ।
कर्म न तेरा खोटा निकले,
नेकी ,सच्च,ईमानदारी रख ले ।
ना कड़वा बोल ज़ुबां से निकले,
बस इतनी समझदारी रख ले ।
हक का कमाएं, हक का खाएं,
ऐसी सोच ....प्यारी रख ले ।
ज़ोर ज़वानी सदा नहीं रहते,
बुढ़ापे की तैयारी रख ले ।
अलग पहचान हो जग में तेरी,
ऐसी कोई कलाकारी रख ले ।
स्वास स्वास है कर्ज़ प्रभु का ,
उससे तू वफादारी रख ले ।
भव सागर से पार लगाए,
हरि की नाम खुमारी रख ले।
भव सागर से पार लगाए,
' हरि ' की नाम खुमारी रख ले।