उड़ान
उड़ान
उड़ना है हमें बिना पंख के,
बिना सहारे उड़ना है।
चंदा ,सूरज, तारे ,नभ से
छलांग लगाकर जुड़ना है।
सुनती आई दादी-नानी से
वीर बालाओं की अमर कहानी
रानी अहिल्या,रानी चेनम्मा
कैसी वीर थी झाँसी की रानी !
हममें भी कुछ जोश नहीं कम
उनकी राहों पर चलना है,
नया खून है,नयी उमंग है
हमें नए भारत को संभालना है।
दूर क्षितिज को छुकर हमको
यह प्रण अब करना है
सर उठाकर जियेंगे हम
कुछ भी हो,ना फिसलना है।
नए ज़माने के संग हमको
कदम मिलाकर चलना है ,
‘नारी है कमजोर ,अबला’
यह विचार अब बदलना है ।
इन्द्रधनुष के रंग चुराकर
सबके जीवन में भरना है ,
ईश्वर हैं सदा साथ हमारे
फिर क्यों हमें डरना है।
मात-पिता के सपनों को अब
सच्चाई में बदलना है ,
उनकी झोली को खुशियों से
हमको ही भरना है।
हमपर जो विश्वास है उनका
उसपर खरा उतरना है ,
आत्मविश्वास के पंख लगाकर
लम्बी उड़ान भरना है।