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Indu Prabha

Inspirational

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Indu Prabha

Inspirational

हमारा गौरव हमारी शान

हमारा गौरव हमारी शान

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खोए पाए की प्रबल राह बनी अति निराली

करते अवलोकन चिर पुरातन व नित्य नूतन में ।

पाया जो था हमने क्या अपना पाए उसको ?

खोया जो था हमने क्या जान पाए उसको ?


प्रसाद रूप मे पायी हमने मनोहारी संस्कृति को

श्रंगार बन मानव जीवन को सुवासित किया ।

भारत भाल पर तिलक बन वह रहनुमा हमारी ।

अति पवन सर्वोपरि वैदिक भूमि कहलायी ।


आँचल सदा रहा भरा रहता वेद महिमा मंडल से ।

इस भूमि में प्रह्लाद, ध्रुव आरुणि व बालिकाएं पली ।

अपने बलिदानों से रची गौरवपूर्ण रचनाये अनेक ।

अंकित कर गए नाम अपना वे स्वर्ण अक्षरों में ।


पूज्य रही है वैदिक संस्कृति अपनी विविधता से ।

मूल आधार बनी सनातन विपुल कला संदेशो की ।

गीता, वेद, पुराण, उपनिषदों की अनेक गाथाओं से ।

सींचा, सवारा, संजोया विविध रूपों में आँगन को ।


अमूल्य निधि को पाया ऋषियों, मनीषियों से ।

जाना समझा सबकुछ पूर्वजों की महिमा से ।

भारत को विश्वगुरु के स्थान को पाना होगा ।

विश्वशांति भावात्मक रूप उज्जवल करना होगा ।


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