Dr. Nisha Mathur

Inspirational

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Dr. Nisha Mathur

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एक दुआ

एक दुआ

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एक ख्याल की तरह होते हैं,

जब पल पल में बिखर जाते हैं,

अपने दिल की दुआओं से

संभाला करते है हमें, माता-पिता।


जब अंतर्मन से होते हम खाली,

फिर कोई हमारी राह नहीं,

हमारा जुनून, हमारी ख़्वाहिश,

ताकत बन जाते हैं, माता-पिता।


हम कौन हैं, क्या है, जब कोई

खुद की खबर नहीं होती हमें?

मरते हुऐ के लिये उस पल

आशीर्वाद बन जाते हैं, माता-पिता।


तूफान में जब कभी एक दिये की

तरह टिम टिमा के जलते हैं,

हर कदम पे हमें दे हिम्मत, हमारा

हौसला बढ़ाते हैं, माता-पिता।


जब ये एहतराम होता है कि कोई

हमारा साथी, रहनुमा भी नहीं

ख़ुशियों की जिन्दगी में तब,

फलसफे बन जाते हैं माता-पिता।


चढ़ता दरिया बन के और उफान

के गर पाना चाहे मंज़िल कोई

देकर मशवरा तहजीब का, एक

तजुर्बा बन जाते हैं, माता-पिता।


जब कभी फितरत में रंगीन मिजाजी,

पुरजोर हो जाती है हमारे,

फैला के आंचल हमारे मुकद्दर पे

इक साया बन जाते हैं, माता-पिता।


कैसे ताउम्र बच्चों की परवरिश और

उनकी बेहतरी के जज्बे में,

मौत के हर कदम पर अपनी,

सांसों को जीतते जाते हैं, माता-पिता।


जिनकी दुआओं से ही हमें हासिल

होते है शोहरत और ये मुकाम,

कांपता हाथ सर पर रखते ही, राह के

पत्थर हटा देते है, माता-पिता।


बनके सरपरस्त जब हमें लपेट लेते हैं

अपने बाहुपाष में प्यार से,

घर-आंगन में चांदनी लेकर, चाँद

बनकर उतर आतें है, माता-पिता।



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