एक दुआ
एक दुआ
एक ख्याल की तरह होते हैं,
जब पल पल में बिखर जाते हैं,
अपने दिल की दुआओं से
संभाला करते है हमें, माता-पिता।
जब अंतर्मन से होते हम खाली,
फिर कोई हमारी राह नहीं,
हमारा जुनून, हमारी ख़्वाहिश,
ताकत बन जाते हैं, माता-पिता।
हम कौन हैं, क्या है, जब कोई
खुद की खबर नहीं होती हमें?
मरते हुऐ के लिये उस पल
आशीर्वाद बन जाते हैं, माता-पिता।
तूफान में जब कभी एक दिये की
तरह टिम टिमा के जलते हैं,
हर कदम पे हमें दे हिम्मत, हमारा
हौसला बढ़ाते हैं, माता-पिता।
जब ये एहतराम होता है कि कोई
हमारा साथी, रहनुमा भी नहीं
ख़ुशियों की जिन्दगी में तब,
फलसफे बन जाते हैं माता-पिता।
चढ़ता दरिया बन के और उफान
के गर पाना चाहे मंज़िल कोई
देकर मशवरा तहजीब का, एक
तजुर्बा बन जाते हैं, माता-पिता।
जब कभी फितरत में रंगीन मिजाजी,
पुरजोर हो जाती है हमारे,
फैला के आंचल हमारे मुकद्दर पे
इक साया बन जाते हैं, माता-पिता।
कैसे ताउम्र बच्चों की परवरिश और
उनकी बेहतरी के जज्बे में,
मौत के हर कदम पर अपनी,
सांसों को जीतते जाते हैं, माता-पिता।
जिनकी दुआओं से ही हमें हासिल
होते है शोहरत और ये मुकाम,
कांपता हाथ सर पर रखते ही, राह के
पत्थर हटा देते है, माता-पिता।
बनके सरपरस्त जब हमें लपेट लेते हैं
अपने बाहुपाष में प्यार से,
घर-आंगन में चांदनी लेकर, चाँद
बनकर उतर आतें है, माता-पिता।