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sonu santosh bhatt

Abstract

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sonu santosh bhatt

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एक छोटा सा जहाँ मांगा था

एक छोटा सा जहाँ मांगा था

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मांगने की आदत ने मेरे भगवन।

सांसे थम गई

और रुक गयी दिल की धड़कन।

एक छोटा सा जहाँ मांगा था,

आपसे और कभी कुछ कहाँ मांगा था।

जिंदगी आपकी दी हुई थी जानता हूँ,

इसलिए आज तक आपको मानता हूँ,

पर जिंदा रहना मैंने खुद सीखा था,

तू पहले कभी कहाँ दिखा था।

शायद इसीलिए लोगो ने तुझपर

विश्वास करना छोड़ दिया है।

एक मैंने भरोसा किया तुझपर

पर………

पर तूने तो मेरा ही दिल तोड़ दिया है।

मैं तेरे लिए कुर्बानी दूँ।

चाहता तो यही था,

है मेरे दिल मे जिंदा तू

कहता तो यही था।

और यही कहकर मैं खुद से भागा था।

एक छोटा सा जहाँ जो तुझसे मांगा था।

और कभी कुछ कहाँ मांगा था

एक छोटा सा जहाँ मांगा था।

तूने जमीं दिया, और दिया आसमां

और कुछ ना मांगू बस यही थे अरमां

पर मन भरता कहाँ है,

हर इंसान अपने मन की करता यहाँ है।

मैं भी अपने दिल की करता यहां था।

जो मांगा वो एक छोटा सा जहाँ था।

और कभी कुछ मांगा ही कहाँ था।

एक छोटा सा जहाँ मांगा था।

और कभी कुछ कहाँ मांगा था।



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