एक भूल
एक भूल
बस एक भूल हो गई है मुझ से
वक्त की नाव डूब गई है मुझ से
सही समय पर कर्म नहीं किया,
सोने की चमक खो गई है मुझ से
अपने ही आलस्य की वजह से,
सुख की रश्मि खो गई है मुझ से
अब रोता हूं,अब पछताता हूं,
इस सुनहरे समय की डोर से,
सुंदर सी पतंग टूट गई है मुझ से
इसलिये समय रहते, संभलना है,
कोई भूल तुझे नहीं करना है,
वक्त पर लोहे पर चोट करने से,
मेरी जिंदगी सँवर गई है मुझ से
सांप के निकल जाने पर,
वक्त के गुजर जाने पर,
लकड़ी पटकने से कुछ न होगा
सही वक्त पर सही चल तू,
मंज़िल मिलेगी तुझे आराम से
बस एक भूल और न होगी तुझ से