एक अर्ज
एक अर्ज


हे परमेश्वर, एक अर्ज हमारी है,
भावो में डूबी एक पुकार हमारी है।
जगा दो पुनः सोई मानवता
यह एक करुण पुकार हमारी हैं
ला दो पुनः वो वक्त हे परमात्मा,
लिखी जहाँ नारी सम्मान की कहानी हो
हर परिवार हो ऐसा,
जहाँ संस्कार की नींव पुरानी हो
बुजुर्गो की जहाँ आँचल की छाँव में,
जहाँ गढ़ती पीढ़ी सारी हो
विचारों की जहाँ अभिव्यक्ति हो,
भाव संवेदनाओं की गंगोत्री सारी हो
कर्तव्यों की जहाँ खेती हो,
प्रेम में डूबी मानवता सारी हो
त्याग हो जहाँ सर्वोपरि,
दुख हरने की संव
ेदना सारी हो
कर्तव्यनिष्ठ हो हर जन जहाँ,
इस वसुधा में एक परिवार सी,
भूमिका सबकी बलशाली हो।
हरियाली जग में व्याप्त हो
यही भूमिका प्यारी हो
हर मुख पे मुस्कान सजे
प्रेम से सींची हर क्यारी हो
रोग शोक की बात न हो,
मुश्किलों से टक्कर लेने की ठानी हो
हर दिल की यही कहानी हो
सुमति सबकी जुबानी हो।
आज बना दे ब्रह्मांड नया,
जहाँ आशा की नई कहानी हो
अरुणिमा का संदेश हो,
सविता के प्रकाश की कहानी हो
बस इतनी अर्ज हैं
हे परमेश्वर सद्बुद्धि से निर्मित हर प्राणी हो