एहसासों का सफ़र
एहसासों का सफ़र
कुछ लम्हें,
कुछ बातें,
कुछ मुलाकातें,
तेरे साथ की,
इक-इक यादें,
संजोकर रखती हूँ।
हर्फ-हर्फ से
अल्फ़ाज़ों तक
का सफर
मेरे मनमीत !
बेहद संवेदित
ये पँक्तियाँ !
तुम्हारे एहसासों में
डूबकर
मेरे जेहन से निकलती
पल-पल जीती हैं
दुबारा से तुम्हें
तुम पढ़ लेना !
मेरी डायरी में सिमटी
इन पँक्तियों को
जब मैं न रहूँ
तुम्हारी जिन्दगी में,
तुम्हारे एहसासों में
तुम्हारे सपनों में
और तुम्हारी यादों में भी।
हाँ ! वही तो !
और नहीं तो क्या ?
जो आया है उसे
जाना भी है
यही प्रकृति का नियम है !
और यह आवश्यक भी
पुरातन का प्रलय होता है
तभी नवीन का
सृजन संभव है।
मेरा जाना यानि कि
तुम्हारे हृदय में
नवीन प्रेम का प्रस्फूटन
नई जिन्दगी का शुभारंम्भ
बस फिर, बहुत सहज होगा
तुम्हारे लिए
मुझे भूल पाना
बिल्कुल सम्भव
असम्भव कुछ भी नहीं होता।