एहसास
एहसास
हर बार कुछ जिम्मेदारियों का एहसास,
मुझे थोड़ा और मजबूत बनाती है।
हर बार मेरे वजूद से जुड़ी हुई आस,
मेरी जिजीविषा को बढ़ाती है।
ठोकरें ,चोट ,तकलीफ ,ईर्ष्या, नफरत
जब भी मुझ से होकर गुजरती हैं।
प्रेम और स्नेह के रंग से मुझे और
सराबोर कर के जाती हैं।
फ़ितरतन सोचें हावी होती रहती मुझ पर,
पर इन्हीं सोचों के बीच राह नजर आती हैं।
अविश्वसनीयता का घेरा जो बना रखा है,
शायद वही सुरक्षा का कवच बनाती हैं।
कभी कभी परवाह करने की आदत
मुझे बेपरवाह होना भी सीखा जाती हैं।
कभी कभी टीसते ज़ख्म मुझको,
जिंदगी की हक़ीकत से रूबरू करवाती हैं।
कभी अपनेपन का एहसास जो मिलता ,
वह मुझे प्यार करना सीखाती हैं।
या फिर कभी प्रेम के दो मीठे बोल,
अमृत सदृश बन जिंदगी जीना सिखाती है।
कभी बस संग होने का भरोसा मुझे
मेरे भय से मुक्त करने में मदद कर जाती है।
कभी कभी मेरी लफ़्ज़ों में फिक्र और परवाह,
मुझे मेरे वजूद की अहमियत बता जाती हैं।
यूँ तो अनेक वजहें है शिकस्त मानने की
जिंदगी तुमसे तेरी राहों में।
पर कुछ वजहें तू मुझे जीने की जिंदगी
अक्सर यूँ ही दे जाती है।
