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Shristi Sri.

Tragedy

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Shristi Sri.

Tragedy

एहसास

एहसास

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अब कुछ कहना नहीं है,

कुछ जताना भी नहीं है।


थक गई है ज़ुबां, लफ्ज़ भी

ख़ामोश हो गए हैं।


दर्द उठता है सीने में,

अब भी आंखें नम होती है।


चुप रह कर अब

खुद को सज़ा देनी है,


ज़िन्दगी से हम

बेज़ार हो गए हैं।


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