ऐ ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी


ज़िंदगी तूने बहुत सताया है हमें
दे के खुशी के दो पल,
फिर देर तक रुलाया है हमें
कब मांगे थे हमने सोने-चांदी
और हीरों की चमक।
झूठी रोशनी दे के फिर,
तूने बरगलाया है हमें
कोई प्यार से देखे,
दो बोल प्यार के बोल दे,
इतनी सी चाहत के लिए
बहुत तरसाया है हमें
जा हमने तुझे माफ किया
तेरे हर सितम के लिए,
चैन से अब सोने दे कि
सुकून का फरमान
अब आया है हमें।