वो है माँ
वो है माँ
जब चोट लगे और दर्द सताए,
फूंक मार के जो सब तकलीफ ले जाये ,वो है माँ
जब भूख लगे और पेट गुदगुदाए,
अपने हाथों से प्यार के दो निवाले जो खिलाये,वो है माँ
जब दिल घबराये और डर सताए,
तो प्यार के दो बोल ,जो दिल को बहलाये ,वो है माँ
जब मन आशंकाओं से घिर जाए और डर जाए,
जो हिम्मत बढ़ाये, वो है माँ
बिन कहे ही हर बात समझ जाएं
मन की बेचैनी पढ़ जाए ,वो है माँ ।
हाँ, मेरी माँ भी ऐसी है ,
मेरे अनकहे सवालों और तकलीफों में मेरे साथ है,,वो मेरी माँ ।
