एहसास -ए -जुदाई
एहसास -ए -जुदाई
प्रिय की यादों को हमने संजोया है दिल में :
अब तो दिल नहीं लगता भरी महफिल में !
बहुधा भर आती है मेरी आखेट भरी आंखें :
सोचती हूं कि क्या कहूँगी उन से मिलन में !
प्रिय के जाते ही होता है एहसास ए जुदाई :
सच, प्रियतम की यादें होती है बड़ी दुखदाई !
अबके सर्दियों का मौसम शुष्क सा हो चला है:
उनके इंतजार में लगता है सदियां सिमट आई:
इस इंतजार में भी एक कशिश भरी है नरमाई !
मिलना जुलना जीवन का एक क्रम है मेरे भाई !
यूँ दूर रहकर अपने प्रियतम से मैं तो भर पाई :
कभी- कभी तो सही नहीं जाती है यह जुदाई !