ए खुशी
ए खुशी
ए खुशी गुम गई तू बता दे कहाँ
अपनी पलकें बिछाये मैं खड़ा हूं यहाँ।
की प्रतीक्षा तेरी, की समीक्षा मेरी,
अज्ञान था राह में, थी अशिक्षा मेरी।
राह बतला दे मुझको, मैं पाऊं जहाँ
ए खुशी गुम गई तू बता दे कहाँ ?
बादलों में था ढूंढा, पागलों की तरह
ख्वाबों में भी था देखा, मनचलों की तरह।
पाने को बस तुझे, दर्द सारा सहा
ए खुशी गुम गई तू बता दे कहाँ ?
दोस्तों दोस्ती पर भी कुर्बान था
चालाकी, मतलबी से भी अनजान था।
लुट गया मैं तो सारा, फिर भी कुछ ना लहा
ए खुशी गुम गई तू बता दे कहाँ ?
स्वाद में तू नहीं, याद में तू नहीं
मौन में तू नहीं, बात में तू नहीं।
तू मिली बस मुझे, मन बना जब महा
ए खुशी गुम गई तू बता दे कहाँ ?
शब्द कुछ भी कहें, दर्द कुछ भी सहे
सांस थमी हो कभी, नेत्र बहता रहे।
दिल बड़ा रख लो तुम, फिर खुशी है वहाँ
ए खुशी गुम गई तू बता दे कहाँ ?
ए खुशी मिल गई तू मुझे अब यहाँ
ए खुशी मिल गई तू मुझे अब यहाँ।