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Dhinal Ganvit

Inspirational

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Dhinal Ganvit

Inspirational

दयनीयता

दयनीयता

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हे मेरे प्रभु...

अगर मेरा दुःख नहीं तो,

उस इन्सान का दुःख सुनना !


हे मेरे प्रभु...

अगर में उसके दुःख से अनजान हुं तो,

उस इंसान का दुःख मुझे क्यों होता है !


हे मेरे प्रभु...

अगर मेरा हाथ उसकी मदद के लिए चला गया तो,

उस इंसान के लिए मुजमे क्या है !


हे मेरे प्रभु...

अगर उसकी पुकार ने मुझे खींच सा लिया तो,

उस इंसान के प्रति मेरी भावना है उसे क्या कहते है !


हे मेरे प्रभु...

अगर (मैं) तेरा निर्दोष बालक हूं तो,

उसके दर्द की पीड़ा मुझे क्यों है ! 


भगवान कहते है...

ये दयनीयता है ! मेरे बालक !

जो तुम्हे श्रेष्ठ और खुशी महसूस करवाती है।


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