जिंदगी की हार
जिंदगी की हार
भटकता ये दिल, पंछी का..!
आज थम सा गया..!
नहीं देखी थी, उस पंछी ने..!
ये दुनिया कितनी बड़ी है..!
कुछ ना तो, कर सकता था..!
ना ही कुछ करने कि सोच रहा था..!
जिन्दगी की, उड़ान में पंछी ने..!
मानो हार मन ली हो..!
भटकता ये दिल, पंछी का..!
आज थम सा गया..!
नहीं देखी थी, उस पंछी ने..!
ये दुनिया कितनी बड़ी है..!
कुछ ना तो, कर सकता था..!
ना ही कुछ करने कि सोच रहा था..!
जिन्दगी की, उड़ान में पंछी ने..!
मानो हार मन ली हो..!