STORYMIRROR

Dhinal Ganvit

Abstract

3  

Dhinal Ganvit

Abstract

जिंदगी की हार

जिंदगी की हार

1 min
132

भटकता ये दिल, पंछी का..!

आज थम सा गया..!


नहीं देखी थी, उस पंछी ने..! 

ये दुनिया कितनी बड़ी है..!


कुछ ना तो, कर सकता था..!

ना ही कुछ करने कि सोच रहा था..! 


जिन्दगी की, उड़ान में पंछी ने..!

मानो हार मन ली हो..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract