दुर्लभ का आकर्षण
दुर्लभ का आकर्षण
यह मनोमुग्धकारी रूप ,
छोटी, मगर सुंदर मीन सरीखे नैन,
जो है हृदयगत भावों की
अभिव्यक्ति से भरपूर
और आस्वादन का निमंत्रण देते,
वे लबालब रसीले लब,
तैरती रहती जिन पर सदा
एक मोहक सा मुस्कान,
काले घुंघराले बाल,
वह खूबसूरत गेहुआं रंग !
वह मेदहीन छरहरा बदन,
वह उच्च कद।
वे आजानुबाहु, वह उन्नत माथा,
वह तराशा हुए नासा, यह सुललित ग्रीवा,
और कानों में देर तक
मधु- रस घोलता सा वह स्वर !
वह सुदृढ़ व्यक्तित्व ,वह दयालु दृष्टि,
वह दृप्त चाल, वे धीर कदम,
वह वीर वक्ष, व सुंदर कटाक्ष
स्याम सलोने मेरे
दुर्लभ हो
क्या इसलिए ,
इतना आकर्षित करते हो ?