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Moumita Bagchi

Romance Tragedy

3  

Moumita Bagchi

Romance Tragedy

अलविदा हमसफर

अलविदा हमसफर

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उदंत मार्तण्ड से थे तुम,

जीवन की अमानिशा में।

आए थे ध्वांत सर्वनाश को

उजाले फैलाने की मंशा से।


पर मैं अंधकार सेवी जीव,

जान न पाई उस उज्जवल उपस्थिति को।

समझ न पाई कि इस तिमिर- सागर के

तुम्हीं थे बस एक खेवैया,

संभालने असहज हुई सारी परिस्थिति को।


खोकर तुम्हें मैने यह जाना,

कि मेरी किस्मत में न लिखा था कभी तुम्हें पाना।

क्योंकि हम थे दो विपरीत दिशाओं के निवासी

संभव भी होता है क्या कहीं प्रकाश का अंधेरे से मिलना?


समझ पाए थे एक केवल तुम्हीं मुझे कभी,

हमनवां थे तुम, या थे मेरे हमसफर ?

एक उम्मीद -सी लगी रहती है सदा

क्या हुआ राहें अलग है आज अगर?


जो भी हो , जैसे भी हो,

एकदिन हम फिर मिलेंगे मगर।

अंतिम साँसों तक जीवित रहेगी

यह आस मेरी, यह ललक,

कि बिना मिलन न लेंगे आखिरी दम।


समाप्त न होगा तबतक,

हमारा यह जीवन- सफर ओ हमदम।

पर आज,

कहती हूँ तुम्हें अलविदा,

सह लूँगी यह जुदाई भी,

होकर तुम ही पर हमेशा फिदा।


एक शाश्वत चिरंतन मिलन हेतु ,

लेती मैं आज तुमसे विदा।



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