दुनिया में पीर बहुत ज्यादा है।
दुनिया में पीर बहुत ज्यादा है।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है,
तेरा ना उसका आधा है।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है।।
अपने ही गमों से टूट ना तू,
नजर उठा देख जरा,
कितने टूटे हैं खड़े हुए,
उनकी तकलीफें सोच जरा।
तू कितनी जल्दी टूट गया,
उनका कैसा अचल इरादा है।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है,
तेरा ना उसका आधा है।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है।।
सोच वो कैसे जीते हैं,
जो हर पल आँसू पीते हैं।
ऐसे कुछ लोग भी होते हैं
जो खुद जख्मों को सीते है
और हर दम हँसते रहते हैं।।
मानेंगे ना हार कभी,
उनका जीवन से ये वादा है।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है।।
इनको दुख है पर ये दुखी नहीं,
अब ये दुख ही इनका गीत है।
खौफ नहीं दुख का इनको,
अब दुख ही इनका मीत है।।
तू क्यूँ उससे घबराता है,
जो आने को अमादा है।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है,
तेरा ना उसका आधा है।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है।।
तू दुख से क्यूँ घबराता है ,
दुख ही तो असली साथी है ।
अंतिम पल तक साथ जो दे,
ये जीवन की वो थाती है।।
असली साथी से हाथ छुड़ाए ,
तू भी कैसा नादान है।।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है,
तेरा ना उसका आधा है।।
दुनिया में पीर बहु ज्यादा है।।।