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Hasmukh Amathalal

Inspirational

4  

Hasmukh Amathalal

Inspirational

दुःख की छाया

दुःख की छाया

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मनपर दुःख की छाया

फिर संकट गहराया

दिल पर बोझ ने कहर को ढाया

मैंने सहनकर उसे अपनाया।


मन ने ढाढस को बंधाया

सुख ओर दुःख संसार के दो है पहिया

दोनों साथ हो तो आ जाए मजा 

एक ही हो ज्यादा तो हो जाए सजा।


मन दुःख का सुमिरन ना करे

सुख आ जाए तो सुख का एतबार करे

हमें तो रहना है दोनों की छाँव में

नहीं समजना इसका क्या दांव है।


मन उसका ध्यान यदि ना करे !

दुःख ही उलटे पाँव वापिस फरे

यदि मन में कर जाय अपना बसेरा

तो कैसे होगा उदय का सवेरा?


मानो तो संसार दुःख का पटारा

दिन में दिखा दे चाँद ओऱ तारा

राह भूलकर ना धरो ध्यान उसी में

डुब जाओगे पुरे बेबसी में।


आ जाए यदि तो स्वीकार करो

सुख हो तब भी आदर करो

जीवन की नैया पार करो

अपने मंसूबों को हासिल करो।


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