दरकते रिश्ते
दरकते रिश्ते
दरकते हुए रिश्तों के बीच,
पनपते है कुछ खुशी के बीज।
लोगों के मुस्कराते हुए चेहरे,
बयां कर देते है उनके स्वार्थ।
टूटी हुई माला के बिखरे हुए मोती,
समेट कर भर लेते है अपने स्वार्थ।
गरीब होकर खो देते है अपनी गरिमा,
ये टूटे फूटे रिश्ते यो ही अचानक।
अमीर बन जाते है यह रिश्ते
एक संयुक्त रूप धारण कर
एक अभेद्य किला बन जाते हैं,
अपनी गरिमा की धरोहर को बचाने के लिए।
