दरख़्त
दरख़्त
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तेरी खूबियां क्या गिनवाए, बस देख-देख मन हर्षाये।
तुझे से जीवन जीने की कला हमें मिल जायें।।
तूने तो सदैव देना ही सीखा है, दूसरों को जिंदगी भर।
एक मिसाल तेरी काबिले तारीफ है, नेकी कर, दरिया को भर।।
तेरे जीवन दायिनी गुणों से ही, हमारे पूर्वजों ने तुम्हें पूजा।
तुझ जैसा दानी इस जग में, कोई न दूजा।।
ए दरख्तों ! तुमसे ही हमारी जिंदगी में, बागे-बहार है।
तुझे अपनी जिंदगी से भी ज्यादा प्यार करें हम,
तू ही हमारे जीवन का गुलजार है।।