दर्द दुनिया का
दर्द दुनिया का
जाने क्यों लोग अब औरत को कमजोर समझते है,
जब भी देखते है लोगो का ऐसा रवैया दिल टूट सा जाता है,
औरत को कमजोर समझने की भूल ना करो दोस्तो,
अब ये दुर्गा बनकर काली बनकर सबको सबक सिखा सकती है,
करते हैं दुष्कर्म ये मर्द और औरत को बदनाम करते है,
क्यों भूल जाते है ये मर्द की उनके घर भी बहन बेटी है,
बुरी नजर ना रखो हर औरत पर इनको इज़्ज़त दो,
वरना दुर्गा बनकर वो तुमाको ही पार लगा देगी,
क्यों हर बार औरत को ही अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है,
जाने कब बदलेगी सोच ऐसे मर्दो की,
जो आज भी औरत को पाँव की जूती समझते है,
जो आज भी औरत को बराबरी का दर्जा नही देते,
खुद को समझते है ये मर्द भगवान और औरत की किस्मत का फैसला करते है,
ये मानते है हम की प्यार ने तेरे हमको लिखना सिखाया,
पर दर्द अपनो से मिले तो दर्द दिल के और बढ़ गए,
लिखते थे प्यार की बाते पहले हम तुझको याद करके,
अब तो बस हर पल दर्द दुनिया का शब्दो मे पिरोते है ।
