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Anuradha Negi

Abstract

4.3  

Anuradha Negi

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दफ्तर की घड़ी

दफ्तर की घड़ी

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रात में सो जाते हैं जल्दी क्यों 

अरे, सुबह फिर दफ्तर जाना है 

जल्दी जल्दी छोड़कर बिस्तर को 

नहाना धोना और खाना बनाना है।

आप मुझे कृपया शाम को मिलना 

अभी मुझे जल्दी दफ्तर जाना है 

कुछ कदम पैदल गलियों के चल

फिर सड़क पर खुद को पाना है।

कलम रख ली बैग में किराया भी 

चाबी हाथ में फिर दफ्तर जाना है 

कुछ पल हाथ घड़ी पर नजर फेरते 

फिर चलती बस में चढ़ जाना है।

ये काम आज नहीं अब कल करेंगे 

आज तो समय से दफ्तर जाना है 

सुकून के बस अब कुछ ही क्षण हैं 

थोड़ा बैठ और फिर उतर जाना है।

झटपट सारा काम हो गया है अब 

चाय पीते ही फिर दफ्तर जाना है 

सीढियां चढ़कर जल्दी जल्दी फिर 

कल और जल्दी समय से आना है।

                     


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