दोस्ती.......
दोस्ती.......
ऐ दोस्तों आज मेरा मन
खुशी से गा रहा है,
तुम कुछ भूल गए, हम भी कुछ भूल गए,
ये भूलना तो समय का एक खेल है,
तुम हमसे हम तुमसे बिछड़ गए,
ये बिछड़ना तो शुरू से तय है,
तुम कुछ कर गए हम भी कुछ किये,
ये करना करवाना भी ज़िन्दगी का हिस्सा है,
पर मेरे यारों हमारा बचपन एक सच है,
हमारा वो बचपना भी कुछ अभी भी है,
सबसे अलग हमारी ये दोस्ती है
ये दोस्ती एक अनमोल रतन है,
ये तो बचपन में हमें मिलाया है,
कुछ अच्छी प्यारी समझ की डोरी में बाँधा है,
तभी तो इतने साल के बाद भी मिलाया है,
ये हमारी ज़िन्दगी में खुशी के नए पल लाया है,
अब यारों इसे अपने दिल में कैद कर रखना है,
ये तो एक अनमोल रतन है,
दूसरों की बुरी नजर से इसे बचाना है,
ये तब भी था, अब भी है, और रहेगा पक्का है,
क्यों की भूलना, बिछड़ना
के साथ भी ये हमारे बीच है
जब दोस्त साथ होते
दोस्ताना रोशनी बन जाता,
सच्ची दोस्ती चांदनी को चौगुना कर देती
रात के अँधेरे को मिटा देती,
ऐसे दोस्त ढूंढने की जरूरत नहीं होती
दोस्त तो दोस्त होते
बाजार में नहीं बिकते,
आँखों के पलकों के साथ होते
आंख खुली या बंद आस पास दिखते
दोस्तों के साथ कुछ हसीन पल होते,
कभी कभी भी वो दर्द दे जाते
फिर भी वो अपने दिल की करीब होते,
वो तो सदा अपने साथ अपने पास होते.
ये दोस्ती एक ऐसा बंधन है,
जो ईश्वर का एक वरदान भी है,
ये दिल से दिल को जोड़ता है,
दोस्त पास नहीं होते भी उनकी दोस्ती साथ है,
ये एक अजब सा अहसास है,
ना ये दिखता ना इसकी कोई रूप है,
पर इतनी सुन्दर है की सदा मन में बसता है
आज कुछ लिख रहा हूँ, ये तो दोस्तों के लिए,
जिन्होंने मुझमें बड़े दिनों के बाद हिम्मत जगाया,
दोस्तों की दोस्ती हो सब आसान बन जाये,
ऐ दोस्तों आप और हमारी दोस्ती यूं ही जगमगाये.