दोस्ती
दोस्ती
कुछ कही अनकही बातों की दास्तान है दोस्ती,
इस जमाने में भी इंसानियत की पहचान है दोस्ती,
पहले त्याग और समर्पण की मिसाल थी दोस्ती,
आज तो मतलब के रिश्तों से बदनाम है दोस्ती,
सही दोस्त अगर मिल गया तो ईश्वर का दूसरा नाम है दोस्ती,
वरना तो इसकी आड़ में मिलने वाले धोखे का जाम है दोस्ती,
कहीं कृष्ण का रखा हुआ सुदामा का मान है दोस्ती,
तो कहीं दुर्योधन के लिए अर्पण कर्ण के प्राण है दोस्ती,
मिलने को तो मिलती है हर तरह की दोस्ती,
पर मिलती नहीं दुनिया में आज सच्ची दोस्ती।।