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Shivi Khurana

Classics

5.0  

Shivi Khurana

Classics

दोस्त

दोस्त

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अनजान लोगों में जब कोई

अपना सा लगने लगता है।

जिसको मिल कर पहले का

कोई नाता झलकने लगता है।


चंद पलों में ही तुम्हारी ज़िंदगी का 

हसीन हिस्सा लगने लगता है।

खून से ना जुड़े होकर भी कोई

जन्मों का रिश्ता सा बनने लगता है।


तुम्हारी खुशी का जश्न तो तुम्हारे

दुख में शामिल कोई होने लगता है।

हार में तुम्हारी ताकत तो जीत में

तुमसे ज्यादा कोई खुश होने लगता है।


ज़िंदगी की हर कश्मकश का

समाधान उस इंसान से जुड़ने लगता है।

जब कोई अनजान इंसान

तुम्हारा "दोस्त" कहलाने लगता है।


जब दोस्ती के मायने तुम्हारी

ज़िंदगी में कोई सीखाने लगता है।


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