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Tk Singh Kashif

Classics

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Tk Singh Kashif

Classics

गजल

गजल

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दुनिया की नज़रों से बचाकर ज़िन्दगानी काटना,

है इतना मुश्किल जैसे हो पानी से पानी काटना


उसका ये तेवर ही अलग पहचान देता है उसे,

दरिया से भिड़ना और फिर उसकी रवानी काटना


दिल तोड़ने के लहज़े से उसके ये मैंने सीखा है,

रहते हुए हिस्सा कहानी का कहानी काटना


कुछ इस तरह होगी तुम्हारे बिन हमारी ज़िन्दगी,

जैसे कि शौहर बिन हो बेवा को जवानी काटना


है इसलिए भी अब हमारी तितलियों से दोस्ती,

आया ही नइ हमको कभी भी बाग़वानी काटना


क्या यार "काशिफ़" तुमने छेड़ा भी तो क़िस्सा इश्क़ का,

आसाँ नहीं है दिल से उसकी हर निशानी काटना।


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