STORYMIRROR

Diwa Shanker Saraswat

Classics Inspirational

4  

Diwa Shanker Saraswat

Classics Inspirational

मैं स्त्री बनना चाहता हूं

मैं स्त्री बनना चाहता हूं

1 min
308

मैं स्त्री बनना चाहता हूं 

मैं स्त्री हूं

मर्दों का तो काम

यों ही कह देना

कुछ भी बोल देना

मैं भी मर्द हूं


पर कह सकता हूं

आसान नही स्त्री बनना

स्त्री नाम त्याग का

स्त्री पर्याय ऊंचाइयों का

दया, ममता, करुणा,


अहिंसा, सच्चाई,

वीरता, साहस

और भी न जाने गुण कितने

जब मिलते

तब स्त्री बनती है


मैं स्त्री तो नहीं

पर चाहता बनना स्त्री

सोचता हर रोज

थोड़ा स्त्री बनता जाऊं

हँस लो हँसनेवालों तुम भी


पूर्णता मानव की

है सच न पुरुष बनने में

स्त्री पूर्ण निर्माण विधाता का

कोई काम नहीं जो स्त्री कर न सके

और मर्द के लिये संभव नहीं


हर काम स्त्री का कर पाना

फिर पूर्णता का ख्याल मेरा

पूर्णता स्त्री बनना है

इसीलिये बेझिझक

मैं स्त्री बनना चाहता हूं

कोशिश कर रहा


अभी अपूर्ण हूं

स्त्री बनने की कोशिश मेरी

होगी कब पूर्ण नहीं पता

पर सच है

मैं स्त्री बनना चाहता हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics